अनजानी राह

1 Part

145 times read

12 Liked

ढल रहा है चाँद भी... सुबह होने को है पाया है मैंने क्या.. डर जो खोने को है मैं निकल पड़ा हूँ   अपनी ही धुन में होगा तो बस वही .. ...

×